रविपुष्य योग, सप्तमी व्रत और रोग निवारण उपाय
♈ दिनांक – 04 मई 2025
♉ दिन – रविवार
♊ विक्रम संवत – 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)
♋ शक संवत -1947
♌ अयन – उत्तरायण
♍ ऋतु – ग्रीष्म ॠतु
♎ मास – वैशाख
♏ पक्ष – शुक्ल
♐ तिथि – सप्तमी प्रातः 07:18 तक तत्पश्चात अष्टमी
♑ नक्षत्र – पुष्य मध्याह्न 12:53 तक तत्पश्चात अश्लेशा
♒ योग – गण्ड रात्रि 12:42 तक तत्पश्चात वृद्धि
♓ राहुकाल – शाम 17:01 से शाम 18:41 तक
🌞 सूर्योदय -05:26
🌚 सूर्यास्त -18:41
❌ दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे
🛕 व्रत पर्व विवरण- विजया सप्तमी, निम्ब सप्तमी, रविवारी सप्तमी (सूर्योदय से सुबह 07:18 तक), रविपुष्य योग (सूर्योदय से दोपहर 12:53 तक)
💥 विशेष- सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🛕 घातक रोगों से मुक्ति पाने का उपाय
👉🏻 04 मई 2025 रविवार को सूर्योदय से प्रातः 07:18 तक रविवारी सप्तमी है।
🚩 रविवार सप्तमी के दिन बिना नमक का भोजन करें। बड़ बरगद दादा के १०८ फेरे लें । सूर्य भगवान का पूजन करें, अर्घ्य दें व भोग दिखाएँ, दान करें । तिल के तेल का दिया सूर्य भगवान को दिखाएँ ये मंत्र बोलें :-
🌷 “जपा कुसुम संकाशं काश्य पेयम महा द्युतिम । तमो अरिम सर्व पापघ्नं प्रणतोस्मी दिवाकर ।।”
💥 नोट : घर में कोई बीमार रहता हो या घातक बीमारी हो तो परिवार का सदस्य ये विधि करें तो बीमारी दूर होगी ।
🛕 कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में
➡️ 04 मई 2025 रविवार को सूर्योदय से मध्याह्न 12:53 तक रविपुष्य योग है।
🌳 बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें |
🛕 रविपुष्यामृत योग
🚩 ‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |
🚩 इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं | (शिव पुराण, विद्येश्वर संहिताः अध्याय 10)
🕉️🛕🚩 डॉ० बिपिन पाण्डेय, सहा आचार्य ज्योतिर्विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय 📱8756444444
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