♈ दिनांक – 04 जुलाई 2023
♉ दिन – मंगलवार
♊ विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
♋ शक संवत -1945
♌ अयन – दक्षिणायन
♍ ऋतु -ग्रीष्म ॠतु
♎ मास – श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ)
♏ पक्ष – कृष्ण
♐ तिथि – प्रतिपदा दोपहर 01:38 तक तत्पश्चात द्वितीया
♑ नक्षत्र – पूर्वाषाढा दिन 08:25 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा
♒ योग – इन्द्र दिन 11:50 तक तत्पश्चात वैधृति
♓ राहुकाल – दिन 15:37 से 17:21 बजे तक
🌞 सूर्योदय-05:17
🌚 सूर्यास्त- 19:04
❌ दिशाशूल- उत्तर दिशा में
🛕 व्रत पर्व विवरण – पूर्णिमांत श्रावण मासारम्भ,अशून्य शयन व्रत,विद्यालाभ योग (अमावस्यांत आषाढ
💥 विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा पेठा) न खाएं क्योकि यह धन का नाश करने वाला है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🛕 श्रावणमास
🚩 भगवान शिव का पवित्र श्रावण (सावन) मास 04 जुलाई 2023 मंगलवार से शुरू हो रहा है, (उत्तर भारत हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार) (गुजरात एवं महाराष्ट्र के अनुसार अषाढ़ मास चल रहा है वहा 18 जुलाई, मंगलवार से श्रावण (सावन) मास आरंभ होगा)
🚩 श्रावण हिन्दू धर्म का पञ्चम महीना है। श्रावण मास शिवजी को विशेष प्रिय है । भोलेनाथ ने स्वयं कहा है—
🌷 द्वादशस्वपि मासेषु श्रावणो मेऽतिवल्लभ: । श्रवणार्हं यन्माहात्म्यं तेनासौ श्रवणो मत: ।।
श्रवणर्क्षं पौर्णमास्यां ततोऽपि श्रावण: स्मृत:। यस्य श्रवणमात्रेण सिद्धिद: श्रावणोऽप्यत: ।।
➡ अर्थात मासों में श्रावण मुझे अत्यंत प्रिय है। इसका माहात्म्य सुनने योग्य है अतः इसे श्रावण कहा जाता है। इस मास में श्रवण नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होती है इस कारण भी इसे श्रावण कहा जाता है। इसके माहात्म्य के श्रवण मात्र से यह सिद्धि प्रदान करने वाला है, इसलिए भी यह श्रावण संज्ञा वाला है।
🚩 श्रावण मास में शिवजी की पूजाकी जाती है | “अकाल मृत्यु हरणं सर्व व्याधि विनाशनम्” श्रावण मास में अकालमृत्यु दूर कर दीर्घायु की प्राप्ति के लिए तथा सभी व्याधियों को दूर करने के लिए विशेष पूजा की जाती है। मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए श्रावण माह में ही घोर तप कर शिव की कृपा प्राप्त की थी, जिससे मिली मंत्र शक्तियों के सामने मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हो गए थे।
🚩 श्रावण मास में मनुष्य को नियमपूर्वक नक्त भोजन करना चाहिए ।
➡ श्रावण मास में सोमवार व्रत का अत्यधिक महत्व है
🌷 “स्वस्य यद्रोचतेऽत्यन्तं भोज्यं वा भोग्यमेव वा। सङ्कल्पय द्विजवर्याय दत्वा मासे स्वयं त्यजेत् ।।”
🚩 श्रावण में सङ्कल्प लेकर अपनी सबसे प्रिय वस्तु (खाने का पदार्थ अथवा सुखोपभोग) का त्याग कर देना चाहिए और उसको ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।
🌷 “केवलं भूमिशायी तु कैलासे वा समाप्नुयात”
🚩 श्रावण मास में भूमि पर शयन का विशेष महत्व है। ऐसा करने से मनुष्य कैलाश में निवास प्राप्त करता है।
➡ शिवपुराण के अनुसार श्रावण में घी का दान पुष्टिदायक है।
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