♈ दिनांक – 29 अक्टूबर 2023
♉ दिन – रविवार
♊ विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
♋ शक संवत -1945
♌ अयन – दक्षिणायन
♍ ऋतु – हेमंत ॠतु
♎ मास – कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आश्विन)
♏ पक्ष – कृष्ण
♐ तिथि – प्रतिपदा रात्रि 11:52 तक तत्पश्चात द्वितीया
♑ नक्षत्र – भरणी 30 अक्टूबर प्रातः 04:42 तक तत्पश्चात कृत्तिका
♒ योग – सिद्धि रात्रि 08:01 तक तत्पश्चात व्यतिपात
♓ राहुकाल – शाम 16:02 से शाम 17:26 तक
🌞 सूर्योदय-06:14
🌚 सूर्यास्त-17:26
👉 दिशाशूल- पश्चिम दिशा में
🚩 व्रत पर्व विवरण –
💥 विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा पेठा) न खाएं क्योकि यह धन का नाश करने वाला है (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
💥 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
💥 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
💥 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
💥 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
🛕 कार्तिक मास 🌷
➡ 29 अक्टूबर, रविवार से कार्तिक मास प्रारंभ ।
💥 विशेष ~ गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार अभी अश्विन मास है ।
🛕 महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 106 के अनुसार “कार्तिकं तु नरो मासं यः कुर्यादेकभोजनम्। शूरश्च बहुभार्यश्च कीर्तिमांश्चैव जायते।।” जो मनुष्य कार्तिक मास में एक समय भोजन करता है, वह शूरबीर, अनेक भार्याओं से संयुक्त और कीर्तिमान होता है।
💥 कार्तिक में बैंगन और करेला खाना मना बताया गया है .?
🚩 महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 66 जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में अन्न का दान करता है, वह दुर्गम संकट से पार हो जाता है और मरकर अक्षय सुख का भागी होता है ।
🛕 शिवपुराण के अनुसार कार्तिक में गुड़ का दान करने से मधुर भोजन की प्राप्ति होती है।
🌷 स्कंदपुराण वैष्णवखंड के अनुसार- ‘मासानां कार्तिकः श्रेष्ठो देवानां मधुसूदनः। तीर्थ नारायणाख्यं हि त्रितयं दुर्लभं कलौ।’
➡ अर्थात मासों में कार्तिक, देवताओं में भगवान विष्णु और तीर्थों में नारायण तीर्थ बद्रिकाश्रम श्रेष्ठ है। ये तीनों कलियुग में अत्यंत दुर्लभ हैं।
🌷 स्कंदपुराण वैष्णवखंड के अनुसार- ‘न कार्तिसमो मासो न कृतेन समं युगम्। न वेदसदृशं शास्त्रं न तीर्थ गंगया समम्।’
➡ अर्थात कार्तिक के समान दूसरा कोई मास नहीं, सतयुगके समान कोई युग नहीं, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं और गंगाजीके समान कोई तीर्थ नहीं है।
🚩 भगवान श्री कृष्ण को वनस्पतियों में तुलसी, पुण्य क्षेत्रों में द्वारिकापुरी, तिथियों में एकादशी और महिनों में कार्तिक विशेष प्रिय है- कृष्णप्रियो हि कार्तिक:, कार्तिक: कृष्णवल्लभ:। इसलिए कार्तिक मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक माना गया है।
🛕 व्यतिपात योग 🌷
🚩 व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।
🚩 वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।
🚩 व्यतिपात योग माने क्या कि देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुऐ नाराज हुऐ, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नही दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नही थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसु बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।
💥 विशेष ~ व्यतिपात योग – 29 अक्टूबर 2023 रविवार को रात्रि 08:02 से 30 अक्टूबर, सोमवार को शाम 05:33 तक व्यतीपात योग है।
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