दिनांक – 28 अक्टूबर 2023
दिन – शनिवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत -1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – हेमंत ॠतु
मास – आश्विन
पक्ष – शुक्ल
तिथि – पूर्णिमा 29 अक्टूबर रात्रि 01:53 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र – रेवती दिन 07:31 तक तत्पश्चात अश्विनी
योग – वज्र रात्रि 10:52 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहुकाल – दिन 09:01 से 10:26 बजे तक
सूर्योदय-06:13
सूर्यास्त- 17:27
दिशाशूल- पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण – आश्विनी पूर्णिमा,शरद पूर्णिमा,कोजागरी पूर्णिमा कार्तिक व्रत-स्नान आरम्भ,खंडग्रास चंद्रग्रहण (भारत में दिखेगा नियम पालनीय)
विशेष – पूर्णिमा और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’ (ब्रह्म पुराण’)
शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय।’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है। (ब्रह्म पुराण’)
महादारिद्रय नाशक कृत्तिका नक्षत्र युक्त सोमवार
*30 अक्टूबर 2023 सोमवार को प्रात: 04:43 से 31 अक्टूबर प्रातः 04:01 तक यानि 30 अक्टूबर, सोमवार को पूरा दिन कृत्तिका नक्षत्र युक्त सोमवार का का योग है।
शिवपुराण विश्वेश्वरसंहिता अध्याय 16 के अनुसार
कृत्तिकासोमवारेषु शिवस्य यजनं नृणाम् ॥ महादारिद्र्यशमनं सर्वसंपत्रं भवेत् ॥ गृहक्षेत्रादिदानाच्च गृहोपकरणादिना ॥
कृत्तिका नक्षत्र से युक्त सोमवारों को किया हुआ शिवजी का पूजन मनुष्यों के महादारिद्र को मिटाने वाला और संपूर्ण संपत्तियों को देने वाला हैं।
धन संपत्ति प्राप्ति, दरिद्रता निवारण के लिए दूध से रुद्राभिषेक करें, बिल्वपत्र अथवा पुष्प से शिव सहस्त्रार्चन करें। दारिद्रदहन शिवस्तोत्र का पाठ करें। कुबेरकृत शिवस्तोत्र का पाठ करें जिससे कुबेर अपनी छिनी हुई धन-सम्पत्ति फिर से प्राप्त की थी। #लिङ्गपुराण के अनुसार चंद्र की उत्पत्ति कृत्तिका में ही हुई थी अतः इसको चन्द्र का जन्म नक्षत्र माना जाता है।
शिवपुराण विद्याश्वर संहिता के अनुसार
चंद्रमा सम्पत्ति के दाता हैं।
ब्रह्मवैवर्तपुराण तथा महाभारत के अनुसार कृतिका नक्षत्र में घी और खीर से युक्त भोजन ब्राह्मण व साधु संतो को दान करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
30 अक्टूबर 2023 को कृत्तिका नक्षत्र युक्त सोमवार है।
कार्तिक मास में स्नान की महिमा
कार्तिक मास में सूर्योदय से पहले स्नान करने की बड़ी भारी महिमा है और ये स्नान तीर्थ स्नान के समान होता है l
कार्तिक मास में जप
कार्तिक मास में अपने गुरुदेव का सुमिरन करते हुए जो “ॐ नमो नारायणाय” का जप करता है, उसे बहुत पुण्य होता है |
कार्तिक मास
स्कंद पुराण में लिखा है : ‘कार्तिक मास के समान कोई और मास नहीं हैं, सत्ययुग के समान कोई युग नहीं है, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान दूसरा कोई तीर्थ नहीं है |’ – ( वैष्णव खण्ड, का.मा. : १.३६-३७)
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