THE GAME OF PLANETS

🕉️🛕 आज का पञ्चाङ्ग 🐚🔔🚩

♈ दिनांक – 13 नवम्बर 2023
♉ दिन – सोमवार
♊ विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
♋ शक संवत -1945
♌ अयन – दक्षिणायन
♍ ऋतु – हेमंत ॠतु
♎ मास – कार्तिक (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आश्विन)
♏ पक्ष – कृष्ण
♐ तिथि – अमावस्या दोपहर 02:56 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
♑ नक्षत्र – विशाखा 14 नवम्बर रात्रि 03:23 तक तत्पश्चात अनुराधा
♒ योग – सौभाग्य शाम 03:23 तक तत्पश्चात शोभन
♓ राहुकाल – 07:46–09:07 बजे तक
🌞 सूर्योदय-06:24
🌚 सूर्यास्त- 17:17
❌ दिशाशूल – पूर्व दिशा में
🛕 व्रत पर्व विवरण – कार्तिक अमावस्या,दर्श अमावस्या,सोमवती अमावस्या (सूर्योदय से दोपहर 02:56 तक)
💥 विशेष – अमावस्या व व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)

🛕 सोमवती अमावस्याः दरिद्रता निवारण 🌷
➡️ 13 नवम्बर 2023 सोमवार को सूर्योदय से दोपहर 02:56 तक सोमवती अमावस्या है।
🚩 सोमवती अमावस्या के पर्व में स्नान-दान का बड़ा महत्त्व है।
😌 इस दिन भी मौन रहकर स्नान करने से हजार गौदान का फल होता है।
🌳 इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन तथा उनकी 108 प्रदक्षिणा करने का विधान है। 108 में से 8 प्रदक्षिणा पीपल के वृक्ष को कच्चा सूत लपेटते हुए की जाती है। प्रदक्षिणा करते समय 108 फल पृथक रखे जाते हैं। बाद में वे भगवान का भजन करने वाले ब्राह्मणों या ब्राह्मणियों में वितरित कर दिये जाते हैं। ऐसा करने से संतान चिरंजीवी होती है।
🌿 इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है।

🛕 अन्नकूट दिवस / गोवर्धन-पूजा 🌷
➡️ 14 नवम्बर 2023 दिन मंगलवार कोअन्नकूट दिवस एवं गोवर्धन-पूजा है ।
🚩 धर्मसिन्धु आदि शास्त्रों के अनुसार गोवर्धन-पूजा के दिन गायों को सजाकर, उनकी पूजा करके उन्हें भोज्य पदार्थ आदि अर्पित करने का विधान है। इस दिन गौओ को सजाकर उनकी पूजा करके यह मंत्र करना चाहिये, गौ-पूजन का मंत्र –
🌷 लक्ष्मीर्या लोकपालानां धेनुरूपेण संस्थिता ।
घृतं वहति यज्ञार्थ मम पापं त्यपोहतु ॥
🐄 (धेनु रूप में स्थित जो लोकपालों की साक्षात लक्ष्मी है तथा जो यज्ञ के लिए घी देती है , वह गौ माता मेरे पापों का नाश करें । रात्रि को गरीबों को यथा सम्भव अन्न दान करना चाहिये ।

🌷 कैसे करें नूतन वर्ष का स्वागत – पुण्यमय दर्शन व बलि प्रतिपदा
➡ बलि प्रतिपदा (वर्ष के प्रथम दिन)
🌿 पहले के जमाने में गाँवों में दीपावली के दिनों में वर्ष के प्रथम दिन नीम और अशोक वृक्ष के पत्तों के तोरण (बंदनवार) बाँधते थे, जिससे कि वहाँ से लोग गुजरें तो वर्ष भर प्रसन्न रहें, निरोग रहें । अशोक और नीम के पत्तों में रोगप्रतिकारक शक्ति होती है । उस तोरण के नीचे से गुजरकर जाने से वर्ष भर रोगप्रतिकारक शक्ति बनी रहती है । वर्ष के प्रथम दिन आप भी अपने घरों में तोरण बाँधो तो अच्छा है ।

🎇 दीपावली का दिन वर्ष का आखिरी दिन है और बाद का दिन वर्ष का प्रथम दिन है, विक्रम सम्वत् के आरम्भ का दिन है (गुजराती पंचांग अनुसार) । उस दिन जो प्रसन्न रहता है, वर्ष भर उसका प्रसन्नता से जाता है ।
🚩 ‘महाभारत’ में भगवान व्यास जी कहते हैं-
यो यादृशेन भावेन तिष्ठत्यस्यां युधिष्ठिर।
हर्षदैन्यादिरूपेण तस्य वर्षं प्रयाति वै।।
🚩 ‘हे युधिष्ठिर ! आज नूतन वर्ष के प्रथम दिन जो मनुष्य हर्ष में रहता है, उसका पूरा वर्ष हर्ष में जाता है और जो शोक में रहता है, उसका पूरा वर्ष शोक में व्यतीत होता है।’
🎇 नूतन वर्ष के दिन मंगलमय चीजों का दर्शन करना भी शुभ माना गया है, पुण्य-प्रदायक माना गया है। जैसेः
➡ उत्तम ब्राह्मण, तीर्थ, वैष्णव, देव-प्रतिमा, सूर्यदेव, सती स्त्री, संन्यासी, यति, ब्रह्मचारी, गौ, अग्नि, गुरु, गजराज, सिंह, श्वेत अश्व, शुक, कोकिल, खंजरीट (खंजन), हंस, मोर, नीलकंठ, शंख पक्षी, बछड़े सहित गाय, पीपल वृक्ष, पति-पुत्रवती नारी, तीर्थयात्री, दीपक, सुवर्ण, मणि, मोती, हीरा, माणिक्य, तुलसी, श्वेत पुष्प, फ़ल, श्वेत धान्य, घी, दही, शहद, भरा हुआ घड़ा, लावा, दर्पण, जल, श्वेत पुष्पों की माला, गोरोचन, कपूर, चाँदी, तालाब, फूलों से भरी हुई वाटिका, शुक्ल पक्ष का चन्द्रमा, चंदन, कस्तूरी, कुम- कुम, पताका, अक्षयवट (प्रयाग तथा गया स्थित वटवृक्ष) देववृक्ष (गूगल), देवालय, देवसंबंधी जलाशय, देवता के आश्रित भक्त, देववट, सुगंधित वायु शंख, दुंदुभि, सीपी, मूँगा, स्फटिक मणि, कुश की जड़, गंगाजी मिट्टी, कुश, ताँबा, पुराण की पुस्तक, शुद्ध और बीजमंत्रसहित भगवान विष्णु का यंत्र, चिकनी दूब, रत्न, तपस्वी, सिद्ध मंत्र, समुद्र, कृष्णसार (काला) मृग, यज्ञ, महान उत्सव, गोमूत्र, गोबर, गोदुग्ध, गोधूलि, गौशाला, गोखुर, पकी हुई फसल से भरा खेत, सुंदर (सदाचारी) पद्मिनी, सुंदर वेष, वस्त्र एवं दिव्य आभूषणों से विभूषित सौभाग्यवती स्त्री, क्षेमकरी, गंध, दूर्वा, चावल औऱ अक्षत (अखंड चावल), सिद्धान्न (पकाया हुआ अन्न) और उत्तम अन्न – इन सबके दर्शन से पुण्य लाभ होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खंड, अध्यायः 76 एवं 78)
🚩 कैसे करें नूतन वर्ष का स्वागत
🚩 नूतन वर्ष के दिन सुबह जगते ही बिस्तर पर बैठे-बैठे चिंतन करना कि ‘आनंदस्वरूप परमात्मा मेरा आत्मा है । प्रभु मेरे सुहृद हैं, सखा हैं, परम हितैषी हैं, ॐ ॐ आनंद ॐ… ॐ ॐ माधुर्य ॐ…। वर्ष शुरू हुआ और देखते-देखते आयुष्य का एक साल बीत जायेगा फिर दीपावली आयेगी । आयुष्य क्षीण हो रहा है । आयुष्य क्षीण हो जाय उसके पहले मेरा अज्ञान क्षीण हो जाय । हे ज्ञानदाता प्रभु ! मेरा दुःख नष्ट हो जाय, मेरी चिंताएँ चूर हो जायें । हे चैतन्यस्वरूप प्रभु ! संसार की आसक्ति से दुःख, चिंता और अज्ञान बढ़ता है और तेरी प्रीति से सुख, शांति और माधुर्य का निखार होता है । प्रभु ! तुम कैसे हो तुम्हीं जानो, हम जैसे-तैसे हैं तुम्हारे हैं देव ! ॐ ॐ ॐ…
🛕 फिर बिस्तर पर तनिक शांत बैठे रहकर अपनी दोनों हथेलियों को देखना –
🌷 कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती ।
करमूले तु गोविंदः प्रभाते करदर्शनम् ।।
🚩 अपने मुँह पर हाथ घुमा लेना । फिर दायाँ नथुना चलता हो तो दायाँ पैर और बायाँ चलता हो तो बायाँ पैर धरती पर पहले रखना ।
🚩 इस दिन विचारना कि “जिन विचारों और कर्मों को करने से हम मनुष्यता की महानता से नीचे आते हैं उनमें कितना समय बरबाद हुआ ? अब नहीं करेंगे अथवा कम समय देंगे और जिनसे मनुष्य-जीवन का फायदा होता है – सत्संग है, भगवन्नाम सुमिरन है, सुख और दुःख में समता है, साक्षीभाव है… इनमें हम ज्यादा समय देंगे, आत्मज्योति में जियेंगे । रोज सुबह नींद में से उठकर ५ मिनट शिवनेत्र पर ॐकार या ज्योति अथवा भगवान की भावना करेंगे…।”

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