♈ दिनांक – 09 अक्टूबर 2023
♉ दिन – सोमवार
♊ विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
♋ शक संवत -1945
♌ अयन – दक्षिणायन
♍ ऋतु – शरद ॠतु
♎ मास – आश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार भाद्रपद)
♏ पक्ष – कृष्ण
♐ तिथि – दशमी दोपहर 12:36 तक तत्पश्चात एकादशी
♑ नक्षत्र – अश्लेशा 10 अक्टूबर प्रातः 05:45 तक तत्पश्चात मघा
♒ योग -सिद्ध सुबह 06:51 तक तत्पश्चात साध्य
❌ राहुकाल – प्रातः 07:30, से 08:58 बजजे तक
🌞 सूर्योदय-06;02
🌚 सूर्यास्त- 17:45
❌ दिशाशूल- पूर्व दिशा में
🛕 व्रत पर्व विवरण – एकादशी का श्राद्ध
💥 *विशेष –
🛕 एकादशी व्रत के लाभ 🌷
➡️ 09 अक्टूबर 2023 सोमवार को दोपहर 12:37 से 10 अक्टूबर, मंगलवार को शाम 03:08 तक एकादशी है।
💥 विशेष – 10 अक्टूबर, मंगलवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे।
🚩 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
🚩 जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
🚩 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
🚩 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
🚩 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
🚩 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है ।एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
🛕 एकादशी के दिन करने योग्य 🌷
🚩 एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें 👉🏻 …….विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १ माला*राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥ का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l
🛕 एकादशी के दिन ये सावधानी रहे 🌷
🚩 महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता है… तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है…ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा
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