आज का पंचांग और गंगा सप्तमी का महत्व
♈ दिनांक – 01 मई 2025
♉ दिन – गुरूवार
♊ विक्रम संवत – 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)
♋ शक संवत -1947
♌ अयन – उत्तरायण
♍ ऋतु – ग्रीष्म ॠतु
♎ मास – वैशाख
♏ पक्ष – शुक्ल
♐ तिथि – चतुर्थी दिन 11:23 तक तत्पश्चात पंचमी
♑ नक्षत्र – मृगशिरा अपराह्न 02:21 तक तत्पश्चात आर्द्रा
♒ योग – अतिगण्ड प्रातः 08:34 तक तत्पश्चात सुकर्मा
❌ राहुकाल – दिन 13:42 से अपराह्न 15:21 तक
🌞 सूर्योदय -05:28
🌚 सूर्यास्त -18:39
❌ दिशाशूल – दक्षिण दिशा मे
🛕 व्रत पर्व विवरण- विनायक चतुर्थी, राष्ट्रीय मजदूर दिवस
💥 विशेष- चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🛕 पापनाशिनी, पुण्यप्रदायिनी गंगा
➡ 03 मई 2025 शनिवार को श्री गंगा सप्तमी (गंगा जयंती) है ।
🚩 जैसे मंत्रों में ॐकार, स्त्रियों में गौरीदेवी, तत्त्वों में गुरुतत्त्व और विद्याओं में आत्मविद्या उत्तम है, उसी प्रकार सम्पूर्ण तीर्थों में गंगातीर्थ विशेष माना गया है। गंगाजी की वंदना करते हुए कहा गया हैः
🌷 संसारविषनाशिन्यै जीवनायै नमोऽस्तु ते।
तापत्रितयसंहन्त्र्यै प्राणेश्यै ते नमो नमः।।
🚩 ‘देवी गंगे ! आप संसाररूपी विष का नाश करने वाली हैं । आप जीवनरूपा है। आप आधिभौतिक, आधिदैविक और आध्यात्मिक तीनों प्रकार के तापों का संहार करने वाली तथा प्राणों की स्वामिनी हैं । आपको बार-बार नमस्कार है।'(स्कंद पुराण, काशी खं.पू. 27.160)
🚩 जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन गंगा जयंती (वैशाख शुक्ल सप्तमी) और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुई वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी) के नाम से जाना जाता है। इन दिनों में गंगा जी में गोता मारने से विशेष सात्त्विकता, प्रसन्नता और पुण्यलाभ होता है। वैशाख, कार्तिक और माघ मास की पूर्णिमा, माघ मास की अमावस्या तथा कृष्णपक्षीय अष्टमी तिथि को गंगास्नान करने से भी विशेष पुण्यलाभ होता है।
🛕 गंगा स्नान का फल
➡️ 03 मई 2025 शनिवार को श्री गंगा सप्तमी (गंगा जयंती) है ।
🚩 “जो मनुष्य आँवले के फल और तुलसीदल से मिश्रित जल से स्नान करता है, उसे गंगा स्नान का फल मिलता है ।” (पद्म पुराण , उत्तर खंड)
🕉️🛕🚩 डॉ० बिपिन पाण्डेय, सहा० आचार्य , ज्योतिर्विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय📱8756444444
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