मासिक शिवरात्रि, सोमवती अमावस्या, शनि जयंती विशेष जानकारी

♈ दिनांक – 25 मई 2025
♉ दिन – रविवार
♊ विक्रत संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)
♋ शक संवत -1947
♌ अयन – उत्तरायण
♍ ऋतु – ग्रीष्म ॠतु
♎ मास – ज्येष्ठ (गुजरात-महाराष्ट्र वैशाख)
♏ पक्ष – कृष्ण
♐ तिथि – त्रयोदशी अपराह्न 03:51 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
♑ नक्षत्र – अश्विनी दिन 11:12 तक तत्पश्चात भरणी
♒ योग – सौभाग्य दिन 11:07 तक तत्पश्चात शोभन
♓ राहुकाल – शाम 17:10 से शाम 18:52 तक
🌞 सूर्योदय -05:14
🌚 सूर्यास्त -18:52
❌ दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे
🛕 व्रत पर्व विवरण- *मासिक शिवरात्रि
💥 विशेष- *त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🛕 सोमवती अमावस्याः दरिद्रता निवारण
➡️ 26 मई 2025 सोमवार को दोपहर 12:11 से 27 मई सूर्योदय तक सोमवती अमावस्या है।
🚩 सोमवती अमावस्या के पर्व में स्नान-दान का बड़ा महत्त्व है।
😌 इस दिन भी मौन रहकर स्नान करने से हजार गौदान का फल होता है।
🌳 इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन तथा उनकी 108 प्रदक्षिणा करने का विधान है। 108 में से 8 प्रदक्षिणा पीपल के वृक्ष को कच्चा सूत लपेटते हुए की जाती है। प्रदक्षिणा करते समय 108 फल पृथक रखे जाते हैं। बाद में वे भगवान का भजन करने वाले ब्राह्मणों या ब्राह्मणियों में वितरित कर दिये जाते हैं। ऐसा करने से संतान चिरंजीवी होती है।
🌿 इस दिन तुलसी की 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता मिटती है।

🛕 शनि जयंती
🚩 शास्त्रों के अनुसार शनि देवजी का जन्म ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रात के समय हुआ था।
➡ इस बार शनि जयंती 26 मई 2025 सोमवार को पड़ रही है।
🌞 प्रातः जल्दी स्नान आदि से निवृत्त होकर सबसे पहले अपने इष्टदेव, गुरु और माता-पिता का आशीर्वाद लें।
➡ पूजा क्रम शुरू करते हुए सबसे पहले शनिदेव के इष्ट भगवान शिव का ‘ऊँ नम: शिवाय’ बोलते हुए गंगाजल, कच्चा दूध तथा काले तिल से अभिषेक करें। अगर घर में पारद शिवलिंग है तो उनका अभिषेक करें अन्यथा शिव मंदिर जाकर अभिषेक करें। भांग, धतूरा एवं हो सके तो 108 आंकडे के फूल जरूर चढ़ाएं। द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम को उच्चारण करें।
🚩 सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्‌।
उज्जयिन्यां महाकालमोंकारं ममलेश्वरम्‌ ॥1॥
परल्यां वैजनाथं च डाकियन्यां भीमशंकरम्‌।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥2॥
वारणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।
हिमालये तु केदारं ध्रुष्णेशं च शिवालये ॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरेण विनश्यति ॥4॥
🚩 अब शनिदेव की पूजा शुरू करते हुए सर्वप्रथम शनिदेव का सरसों के तेल से अभिषेक करें।
🌷 “ऊँ शं शनैश्चराय नम:” का निरंतर जप करते रहें ।
🔥 सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित करें तथा कस्तूरी अथवा चन्दन की धूप अर्पित करें ।
🚩 शनि के वैदिक मंत्र का उच्चारण करें
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्
छायामार्तण्ड संभूतम् तम नमामि शनैश्चरम्॥”
🌷 अब स्त्रोत्र का पाठ करें 🌷
नमस्ते कोण संस्थाय पिंगलाय नमोऽस्तुते।
नमस्ते बभ्रुरुपाय कृष्णाय नमोऽस्तुते॥
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकायच।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥
नमस्ते मंदसंज्ञाय शनैश्चर नमोऽस्तुते।
प्रसादं कुरू देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥
🔥 शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे तिल के तेल के दीपक को प्रज्जवलित करें। शनिदेव से प्रार्थना करें कि सभी समस्याएं दूर हों और बुरे समय से पीछा छूट जाए। इसके बाद पीपल की सात परिक्रमा करें।

🕉️🛕🚩 डॉ० बिपिन पाण्डेय, सहा० आचार्य, ज्योतिर्विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय📱8756444444

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