आज का पंचांग 14 अगस्त 2025 | व्रत, तिथि, नक्षत्र व शुभ मुहूर्त
♈ दिनांक – 14 अगस्त 2025
♉ दिन – गुरूवार
♊ विक्रम संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)
♋ शक संवत -1947
♌ अयन – दक्षिणायन
♍ ऋतु – वर्षा ॠतु
♎ मास – भाद्रपद ( गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार श्रावण)
♏ पक्ष – कृष्ण
♐ तिथि – षष्ठी 15 अगस्त रात्रि 02:07 तक तत्पश्चात सप्तमी
♑ नक्षत्र – रेवती प्रातः 09:06 तक तत्पश्चात अश्वनी
♒ योग – शूल दोपहर 01:12 तक तत्पश्चात गण्ड
♓ राहुकाल – दोपहर 13:49 से शाम 15:27 बजे तक
🌞 सूर्योदय -05:38
🌚 सूर्यास्त -18:44
❌ दिशाशूल – दक्षिण दिशा मे
🛕 व्रत पर्व विवरण – हलषष्ठी, ललही छठ, शेषावतार बलराम जयंती, रांधन षष्ठी,पंचक (समाप्त : सुबह 09:06 तक
💥 विशेष – *षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
💥 चतुर्मास के दिनों में ताँबे व काँसे के पात्रों का उपयोग न करके अन्य धातुओं के पात्रों का उपयोग करना चाहिए।(स्कन्द पुराण)
💥 चतुर्मास में पलाश के पत्तों की पत्तल पर भोजन करना पापनाशक है।
🛕 कृष्ण नाम के उच्चारण का फल
➡ 15 अगस्त 2025 शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (स्मार्त) एवं 16 अगस्त 2025 शनिवार को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी (भागवत)
🚩 ब्रह्मवैवर्तपुराण के अनुसार
नाम्नां सहस्रं दिव्यानां त्रिरावृत्त्या चयत्फलम् ।।
एकावृत्त्या तु कृष्णस्य तत्फलं लभते नरः । कृष्णनाम्नः परं नाम न भूतं न भविष्यति ।।
सर्वेभ्यश्च परं नाम कृष्णेति वैदिका विदुः । कृष्ण कृष्णोति हे गोपि यस्तं स्मरति नित्यशः ।।
जलं भित्त्वा यथा पद्मं नरकादुद्धरेच्च सः । कृष्णेति मङ्गलं नाम यस्य वाचि प्रवर्तते ।।
भस्मीभवन्ति सद्यस्तु महापातककोटयः । अश्वमेधसहस्रेभ्यः फलं कृष्णजपस्य च ।।
वरं तेभ्यः पुनर्जन्म नातो भक्तपुनर्भवः । सर्वेषामपि यज्ञानां लक्षाणि च व्रतानि च ।।
तीर्थस्नानानि सर्वाणि तपांस्यनशनानि च । वेदपाठसहस्राणि प्रादक्षिण्यं भुवः शतम् ।।
कृष्णनामजपस्यास्य कलां नार्हन्ति षोडशीम् । (ब्रह्मवैवर्तपुराणम्, अध्यायः-१११)
🚩 विष्णुजी के सहस्र दिव्य नामों की तीन आवृत्ति करने से जो फल प्राप्त होता है; वह फल ‘कृष्ण’ नाम की एक आवृत्ति से ही मनुष्य को सुलभ हो जाता है। वैदिकों का कथन है कि ‘कृष्ण’ नाम से बढ़कर दूसरा नाम न हुआ है, न होगा। ‘कृष्ण’ नाम सभी नामों से परे है। हे गोपी! जो मनुष्य ‘कृष्ण-कृष्ण’ यों कहते हुए नित्य उनका स्मरण करता है; उसका उसी प्रकार नरक से उद्धार हो जाता है, जैसे कमल जल का भेदन करके ऊपर निकल आता है। ‘कृष्ण’ ऐसा मंगल नाम जिसकी वाणी में वर्तमान रहता है, उसके करोड़ों महापातक तुरंत ही भस्म हो जाते हैं। ‘कृष्ण’ नाम-जप का फल सहस्रों अश्वमेघ-यज्ञों के फल से भी श्रेष्ठ है; क्योंकि उनसे पुनर्जन्म की प्राप्ति होती है; परंतु नाम-जप से भक्त आवागमन से मुक्त हो जाता है। समस्त यज्ञ, लाखों व्रत तीर्थस्नान, सभी प्रकार के तप, उपवास, सहस्रों वेदपाठ, सैकड़ों बार पृथ्वी की प्रदक्षिणा- ये सभी इस ‘कृष्णनाम’- जप की सोलहवीं कला की समानता नहीं कर सकते
🌷 ब्रह्माण्डपुराण, मध्यम भाग, अध्याय 36 में कहा गया है :
सहस्रनाम्नां पुण्यानां त्रिरावृत्त्या तु यत्फलम् ।
एकावृत्त्या तु कृष्णस्य नामैकं तत्प्रयच्छति ॥१९॥
🚩 विष्णु के तीन हजार पवित्र नाम (विष्णुसहस्त्रनाम) जप के द्वारा प्राप्त परिणाम ( पुण्य ), केवलएक बार कृष्ण के पवित्र नाम जप के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है ।
🕉️🛕🚩 डॉ० बिपिन पाण्डेय, आचार्य ज्योतिर्विज्ञान, लखनऊ 📱8756444444
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