आज का विस्तृत पंचांग: मोहिनी एकादशी विशेष विवरण

♈ दिनांक – 08 मई 2025
♉ दिन – गुरूवार
♊ विक्रम संवत – 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)
♋ शक संवत -1947
♌ अयन – उत्तरायण
♍ ऋतु – ग्रीष्म ॠतु
♎ मास – वैशाख
♏ पक्ष – शुक्ल
♐ तिथि – एकादशी मध्याह्न 12:29 तक तत्पश्चात द्वादशी
♑ नक्षत्र – उत्तराफाल्गुनी रात्रि 09:06 तक तत्पश्चात हस्त
♒ योग – हर्षण 09 मई रात्रि 01:57 तक तत्पश्चात वज्र
♓ राहुकाल – अपराह्न 13:43 से 15:23 बजे तक
🌞 सूर्योदय -05:23
🌚 सूर्यास्त -18:43
❌ दिशाशूल – दक्षिण दिशा मे
🛕 व्रत पर्व विवरण- मोहिनी एकादशी, परशुराम द्वादशी, रुक्मिणी द्वादशी
💥 विशेष- हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l   राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
💥 आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
💥 एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
💥 एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
💥 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।

🛕 मोहिनी एकादशी
➡️ 07 मई 2025 बुधवार को सुबह 10:19 से 08 मई, गुरुवार को दोपहर 12:29 तक एकादशी है।
💥 विशेष – 08 मई, गुरुवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखे।
🚩 मोहिनी एकादशी ( उपवास से अनेक जन्मों के मेरु पर्वत जैसे महापापों का नाश )

🛕 वैशाख मास के अंतिम ३ दिन दिलायें महापुण्य पुंज 🌷
🚩 ‘स्कंद पुराण’ के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष में अंतिम ३ दिन, (10 मई से 12 मई तक) त्रयोदशी से लेकर पूर्णिमा तक की तिथियाँ बड़ी ही पवित्र और शुभकारक हैं | इनका नाम ‘ पुष्करिणी ’ हैं, ये सब पापों का क्षय करनेवाली हैं | जो सम्पूर्ण वैशाख मास में ब्राम्हमुहूर्त में पुण्यस्नान, व्रत, नियम आदि करने में असमर्थ हो, वह यदि इन ३ तिथियों में भी उसे करे तो वैशाख मास का पूरा फल पा लेता है |
🚩 वैशाख मास में लौकिक कामनाओं का नियमन करने पर मनुष्य निश्चय ही भगवान विष्णु का सायुज्य प्राप्त कर लेता है | जो वैशाख मास में अंतिम ३ दिन ‘गीता’ का पाठ करता है, उसे प्रतिदिन अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है | जो इन तीनों दिन ‘श्रीविष्णुसहस्रनाम’ का पाठ करता है, उसके पुण्यफल का वर्णन करने में तो इस भूलोक व स्वर्गलोक में कौन समर्थ है | अर्थात् वह महापुण्यवान हो जाता है |
🚩 जो वैशाख के अंतिम ३ दिनों में ‘भागवत’ शास्त्र का श्रवण करता है, वह जल में कमल के पत्तों की भांति कभी पापों में लिप्त नहीं होता | इन अंतिम ३ दिनों में शास्त्र-पठन व पुण्यकर्मों से कितने ही मनुष्यों ने देवत्व प्राप्त कर लिया और कितने ही सिद्ध हो गये | अत: वैशाख के अंतिम दिनों में स्नान, दान, पूजन अवश्य करना चाहिए

🕉️🛕🚩 डॉ० बिपिन पाण्डेय, सहा० आचार्य, ज्योतिर्विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय📱8756444444

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