09 जुलाई 2025 का पंचांग: शुभ मुहूर्त, व्रत एवं गुरु पूर्णिमा विशेष
♈ दिनांक – 09 जुलाई 2025
♉ दिन – बुधवार
♊ विक्रत संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)
♋ शक संवत -1947
♌ अयन – दक्षिणायन
♍ ऋतु – वर्षा ॠतु
♎ मास – आषाढ
♏ पक्ष – शुक्ल
♐ तिथि – चतुर्दशी 10 जुलाई रात्रि 01:36 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
♑ नक्षत्र – मूल 10 जुलाई प्रातः 04:50 तक तत्पश्चात पूर्वाषाढा
♒ योग – ब्रह्म रात्रि 10:09 तक तत्पश्चात इन्द्र
♓ राहुकाल – मध्याह्न 12:12 से 13:55 बजे तक
🌞 सूर्योदय -05:19
🌚 सूर्यास्त -19:04
❌ दिशाशूल – उत्तर दिशा मे
🛕 व्रत पर्व विवरण -शिव शयन चतुर्दशी, चातुर्मासी चतुर्दशी
💥 विशेष – चतुर्दशी व पूर्णिमा एवः व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🛕 विद्यालाभ योग
➡ 11 जुलाई 2025 शुक्रवार को विद्यालाभ योग (केवल गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश, आदि अमावस्यांत मास प्रचलनवाले राज्यों में)
🚩 विद्यालाभ के लिए मंत्र
👉🏻 ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनि सरस्वति मम जिह्वाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा ।
➡️ 11 जुलाई 2025 शुक्रवार को प्रातः 05:56 से रात्रि 11:45 तक 108 बार मंत्र जप लें और रात्रि 11:00 से 12:00 बजे के बीच जीभ पर लाल चंदन से ‘ह्रीं’ मंत्र लिख दें ।*जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा, उसे विद्यालाभ व विद्वत्ता की प्राप्ति होगी |
🛕 गुरु का मानस-पूजन कैसे करें गुरु पूर्णिमा पर
🚩 गुरुपूनम की सुबह उठें । नहा-धोकर थोडा-बहुत धूप, प्राणायाम आदि करके श्रीगुरुगीता का पाठ कर लें ।
🌷 फिर इस प्रकार मानसिक पूजन करें 🌷
🚩 ‘मेरे गुरुदेव ! मन-ही-मन, मानसिक रूप से मैं आपको सप्ततीर्थों के जल से स्नान करा रहा हूँ । मेरे नाथ ! स्वच्छ वस्त्रों से आपका चिन्मय वपु (चिन्मय शरीर) पोंछ रहा हूँ । शुद्ध वस्त्र पहनाकर मैं आपको मन से ही तिलक करता हूँ, स्वीकार कीजिये । मोगरा और गुलाब के पुष्पों की दो मालाएँ आपके वक्षस्थल में सुशोभित करता हूँ ।
🚩 आपने तो हृदयकमल विकसित करके उसकी सुवास हमारे हृदय तक पहुँचायी है लेकिन हम यह पुष्पों की सुवास आपके पावन तन तक पहुँचाते हैं, वह भी मनसे, इसे स्वीकार कीजिये । साष्टांग दंडवत् प्रणाम करके हमारा अहं आपके श्रीचरणों में धरते हैं ।
🚩 हे मेरे गुरुदेव ! आज से मेरी देह, मेरा मन, मेरा जीवन मैं आपके दैवी कार्य के निमित्त पूरा नहीं तो हररोज २ घंटा, ५ घंटा अर्पण करता हूँ, आप स्वीकार करना । भक्ति, निष्ठा और अपनी अनुभूति का दान देनेवाले देव ! बिना माँगे कोहिनूर का भी कोहिनूर आत्मप्रकाश देनेवाले हे मेरे परम हितैषी ! आपकी जय-जयकार हो ।’
🚩 इस प्रकार पूजन तब तक बार-बार करते रहें जब तक आपका पूजन गुरु तक, परमात्मा तक नहीं पहुँचे । और पूजन पहुँचने का एहसास होगा, अष्टसात्त्विक भावों (स्तम्भ १ , स्वेद २ , रोमांच, स्वरभंग, कम्प, वैवण्र्य ३ , अश्रु, प्रलय ४ ) में से कोई-न-कोई भाव भगवत्कृपा, गुरुकृपा से आपके हृदय में प्रकट होगा ।
🚩 इस प्रकार गुरुपूर्णिमा का फायदा लेने की मैं आपको सलाह देता हूँ । इसका आपको विशेष लाभ होगा, अनंत गुना लाभ होगा
इससे पहले की एकादशी व्रत की जानकारी यहाँ पढ़ें|
🕉️🛕🚩 डॉ० बिपिन पाण्डेय, सहा० आचार्य, ज्योतिर्विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय📱8756444444
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