आज का पंचांग: निर्जला एकादशी विशेष जानकारी और शुभ मुहूर्त
♈ दिनांक – 06 जून 2025
♉ दिन – शुक्रवार
♊ विक्रत संवत 2082 (गुजरात-महाराष्ट्र अनुसार 2081)
♋ शक संवत -1947
♌ अयन – उत्तरायण
♍ ऋतु – ग्रीष्म ॠतु
♎ मास -ज्येष्ठ
♏ पक्ष – शुक्ल
♐ तिथि – एकादशी 07 जून प्रातः 04:47 तक तत्पश्चात द्वादशी
♑ नक्षत्र – हस्त प्रातः 06:34 तक तत्पश्चात चित्रा
♒ योग – व्यतीपातदिन 10:13 तक तत्पश्चात वरीयान
♓ राहुकाल -दिन 10:22 से मध्याह्न 12:05 तक
🌞 सूर्योदय – 05:12
🌚 सूर्यास्त -18:58
❌ दिशाशूल – पश्चिम दिशा मे
🛕 व्रत पर्व विवरण – श्री निर्जला एकादशी स्मार्त अर्थात् गृहस्थ
💥 विशेष- हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है l राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
💥 आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
💥 एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
💥 एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
💥 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
🛕 निर्जला-भीम एकादशी
➡️ 05 जून, गुरुवार को रात्रि 02:15 यानि (06 जून 02:15 AM) से 07 जून प्रात: 04:47 तक एकादशी है।
💥 विशेष – 06 जून 2025 शुक्रवार को निर्जला-भीम एकादशी (स्मार्त गृहस्थ ) एवं 07 जून 2025 शनिवार को निर्जला-भीम एकादशी (भागवतसंन्यासी ), सन्यासियों को 07 जून, शनिवार को एकादशी का व्रत (उपवास) करना चाहिये
🚩 निर्णयसिन्धु के प्रथम परिच्छेद में एकादशी के निर्णय में 18 भेद कहे गये हैंl
🚩 कालहेमाद्रि में मार्कण्डेयजी ने कहा है – जब बहुत वाक्य के विरोध से यदि संदेह हो जाय तो एकादशी का उपवास द्वादशी को ग्रहण करे और त्रयोदशी में पारणा करे ।
🚩 पद्म पुराण में आता है कि एकादशी व्रत के निर्णय में सब विवादों में द्वादशी को उपवास तथा त्रयोदशी में पारणा करे ।
🚩 दशमी मिश्रित एकादशी परित्यज्य है । द्वादशी युक्त एकादशी उपवास योग्य है किन्तु दशमी युक्त एकादशी में कभी भी उपवास नहीं करना चाहिए । – सौरधर्मोत्तर
🚩 द्वादशी मिश्रित एकादशी सर्वदा ही ग्रहण योग्य है । “द्वादशी मिश्रित ग्राह्या सर्वत्रैकादशी तिथिः” – पद्मपुराण
🚩 नारद पुराण में वर्णित है कि जिस समय बहुवाक्य विरोध के कारण संदेह उपस्थित हो उस समय द्वादशी में उपवास करते हुए त्रयोदशी में पारण करना चाहिए।
💥 विशेष ~ अतः इस बार भी शास्त्र अनुसार संन्यासी 07 जून, शनिवार को उपवास करें।
🕉️🛕🚩 डॉ० बिपिन पाण्डेय, सहा० आचार्य ,ज्योतिर्विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय📱8756444444
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