दिनांक – 17 जुलाई 2023
दिन – सोमवार
विक्रम संवत – 2080 (गुजरात – 2079)
शक संवत -1945
अयन – दक्षिणायन
ऋतु – वर्षा ॠतु
मास – श्रावण (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार आषाढ)
पक्ष – कृष्ण
तिथि – अमावस्या रात्रि 12:01 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
नक्षत्र – पुनर्वसु 18 जुलाई प्रातः 05: 11 तक तत्पश्चात पुष्य
योग – व्याघात दिन 08:58 तक तत्पश्चात हर्षण
राहुकाल – प्रातः 07:05 से 08:48 बजे तक
सूर्योदय-05:23
सूर्यास्त- 19:02
दिशाशूल- पूर्व दिशा में
व्रत पर्व विवरण – श्रावण अमावस्या,दर्शअमावस्या,हरियाली अमावस्या,सोमवती अमावस्या (सूर्योदय से रात्रि 12:01 तक)
विशेष- अमावस्या और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
अमावस्या विशेष
स्कन्दपुराण के प्रभास खंड के अनुसार
“अमावास्यां नरो यस्तु परान्नमुपभुञ्जते ।। तस्य मासकृतं पुण्क्मन्नदातुः प्रजायते”
जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महिने भर का पुण्य उस अन्न के स्वामी/दाता को मिल जाता है।
समृद्धि बढ़ाने के लिए
कर्जा हो गया है तो अमावस्या के दूसरे दिन से पूनम तक रोज रात को चन्द्रमा को अर्घ्य दे, समृद्धि बढेगी ।
अमावस्या
अमावस्या के दिन जो वृक्ष, लता आदि को काटता है अथवा उनका एक पत्ता भी तोड़ता है, उसे ब्रह्महत्या का पाप लगता है (विष्णु पुराण)
अधिकमास (पुरषोत्तम मास) में दीप दान
पुरषोत्तम मास (18 जुलाई से 16 अगस्त 2023) में पूरा दीप दान करना | मंदिर में दीप जलाके रख दिया, पीपल के नीचे रख दिया, तुलसी को रख दिया | दीप दान की बड़ी महिमा है , पुरषोत्तम मास मे दीप दान से हर आफत शराफत से छूट जायेंगी |
बरकत बढ़ाने (अधिक मास विशेष)
अधिक मास :- 18 जुलाई से 16 अगस्त 2023 तक
पुरुषोत्तम मास पूरा दोपहर को खाना खाने से पहले भगवत गीता का १५ वां अध्याय पढ़के फिर ही भोजन करना | घर में से बरकत कभी जायेगी ही नहीं | कोई ऐसा है जो भगवत गीता का १५ वां अध्याय पूरा नहीं भी पढ़ सकता तो १५ वें अध्याय का एक श्लोक ही पढ लें | पर १५ वां अध्याय उतना बड़ा नहीं है, चाहें तो पूरा पढ़ सकते हैं |
पुरुषोत्तम मास में अनुष्ठान भी किया जाता है …जप ज्यादा किया जाता है | अधिक मास में जप की अधिक महिमा है | जिसको अनुष्ठान करना हो वे भाई-बहनें पुरुषोत्तम मास का फायदा जरुर उठायें | अनुष्ठान ना कर सकें …….नौकरी धंधे में से समय नहीं मिलता तो जप ज्यादा कर दें | रात को सोने से पहले जप कर लें |
गंगा स्नान का मंत्र
गंगा स्नान के लिए रोज हरिद्वार तो जा नही सकते, घर में ही गंगा स्नान का पुन्य मिलने के लिए एक छोटा सा मन्त्र है ..
ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा
ये मन्त्र बोलते हुए स्नान करें तो गंगा स्नान का लाभ होता है |
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