ये तो सभी जानते हैं कि श्री कृष्ण की आधार शक्ति थीं श्री राधा। कृष्ण के जीवन में उन्हें सर्वाधिक मात्र दो ही चीजें प्रिय थीं। एक तो उनकी बांसुरी और दूसरी राधा रानी। माना जाता है कि कृष्ण की बांसुरी से तब तक मधुर स्वर नहीं निकलते थे जब तक श्री राधा रानी बांसुरी को अपने होठों से न लगा लें।
राधा रानी को मिलने के लिए बुलाने का और रास लीला रचाने का अमध्यम भी उन्हीं की बांसुरी थीं। माना जाता है कि कृष्ण को बांसुरी प्रिय ही इसलिए थी क्योंकि उसमें राधा राधी की श्वास बसी थी। इसी कारण से कृष्ण अपनी बांसुरी को हमेशा अपने पास ही रखते थे और अन्य किसी के हाथ में नहीं देते थे।
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कथा के अनुसार, जहां एक ओर धर्म की स्थापना के लिए श्री कृष्ण ने मथुरा छोड़ा तो वहीं, राधा रानी कृष्ण विरह में प्रतिदिन उनकी पूजा करते हुए समय बिताने लगी। एक समय वो आया जब राधा रानी के पिता ने उनका विवाह किसी अन्य यादव से करा दिया और श्री कृष्ण का विवाह भी देवी रुक्मणि से हो चुका था।
कई हज़ार वर्ष बीत जाने के बाद जब राधा रानी ने सभी सांसारिक कर्तव्यों का निर्वाह कर लिया था और श्री कृष्ण भी धर्म की स्थापना कर चुके थे तब राधा रानी कृष्ण से मिलने द्वारका पहुचीं थीं। जहां उन्होंने कृष्ण के साथ-साथ उनके समस्त परिवार से भेंट की। राधा रानी कुछ समय द्वारका ही रुकी।
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मगर बाद में कृष्ण भक्ति में और भी लीन होने के लिए उन्होंने द्वारका के पास ही वन में अपना स्थान बना लिया। श्री राधा रानी वन में अकेले रहने लगीं और कृष्ण का नाम जप कर अपने अंतर ध्यान होने के समय की प्रतीक्षा करने लगीं। आखिरकार वह समय आया और कृष्ण ने राधा रानी को पुनः दर्शन दिए।
श्री कृष्ण जब राधा रानी से मिले तो वह राधा रानी की पीड़ा उनकी आंखों में देखते ही समझ गए और साथ ही यह भी राधा रानी उन्हें दोबारा देखकर कितनी प्रसन्न हैं। उन्होंने राधा रानी से वरदान मांगने को कहा तो उन्होंने बस यह इच्छा जताई कि वह आखिरी बार कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनना चाहती हैं।
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कृष्ण न बांसुरी बजानी शुरू की ओर तब तक बजाई जब तक राधी रानी अंतर ध्यान हो कृष्ण में ही विलीन नहीं हो गईं। कृष्ण की बांसुरी की धुन सुनते-सुनते राधा रानी ने अपना सांसारिक शरीर त्याग दिया और गोलोक में जा पहुंची। जहां से द्वापर की प्रेम लीला का आरंभ हुआ था और कृष्ण का इंतजार करने लगीं।
माना जाता है कि जब राधा रानी सांसारिकता का दूर अपने दैवीय रूप में गोलोक धाम में स्थित हुईं तब कृष्ण ने उस स्थान पर अपनी बांसुरी तोड़ दी और दो टुकड़े कर उसे फेंक दिया। राधा रानी के जाने के बाद से जब तक कृष्ण धरती पर रहे तब तक उन्होंने फोइर दोबारा बांसुरी ल्कभी नहीं बजाई।
After all, how did Shri Radha Rani die?
Everyone knows that Shri Radha was the base power of Shri Krishna. Krishna loved only two things the most in his life. One is his flute and the other is Radha Rani. It is believed that Krishna’s flute did not produce melodious sounds until Shri Radha Rani touched the flute to her lips.
His flute was also the medium to call Radha Rani to meet her and create Raas Leela. It is believed that Krishna loved the flute only because Radha Radhi’s breath resided in it. For this reason, Krishna always kept his flute with him and did not give it to anyone else.
Mahabharat Ki Khani: Bhakt Dhruv Ki Katha
According to the legend, while Shri Krishna left Mathura for the establishment of another religion, Radha Rani started spending time worshiping him daily in Krishna’s separation. A time came when Radha Rani’s father got her married to another Yadav and Shri Krishna was also married to Goddess Rukmani.
After several thousand years had passed, when Radha Rani had performed all worldly duties and Shri Krishna had also established Dharma, then Radha Rani reached Dwarka to meet Krishna. Where he met Krishna as well as his entire family. Radha Rani stayed at Dwarka for some time.
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But later he made his abode in the forest near Dwarka to become more engrossed in the devotion of Krishna. Shri Radha Rani started living alone in the forest and started chanting the name of Krishna and waiting for the time for her inner meditation. Finally the time came and Krishna again appeared to Radha Rani.
When Shri Krishna met Radha Rani, he understood Radha Rani’s pain as soon as he saw her in her eyes and also how happy Radha Rani is to see him again. When he asked Radha Rani to ask for a boon, she just expressed her wish that she wanted to listen to the tune of Krishna’s flute for the last time.
Shri Krishna Aur Aristasura Vadh Ki Khani
Krishna started playing the flute until Radhi Rani merged with Krishna in inner meditation. Radha Rani left her worldly body while listening to the tune of Krishna’s flute and went to Goloka. From where Dwapar’s love leela started and started waiting for Krishna.
It is believed that when Radha Rani was situated in Goloka Dham in her divine form away from worldliness, Krishna broke his flute at that place and threw it into two pieces. After the departure of Radha Rani, as long as Krishna lived on earth, he never played the flute again.
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